Description
किसी पागल ने शहर में लगी एक दलित नेता की मूर्ति को पहना दी जूतों की माला। डोगा ने दंगे की आशंकां से जूतों की माला मूर्ति के गले से उतार दी लेकिन मूर्ति के गले में अगले दिन भी पाई गई जूतों की माला जिसके कारण भड़क उठें दंगे और आरोप लगा डोगा पर। अब तो कानून और जनता मिलकर डोगा को गाड़ ही देंगे। मगर डोगा को गाड़ना क्या इतना आसान था?